शिक्षा से जुड़े हुए साहित्य को जब भी हम पढ़ते हैं तो पाते हैं कि शिक्षक के लिए कोई खास उत्साह समाज मे कभी नहीं रहा है। आज भी बहुत कुछ नहीं बदल गया है। कितने लोगों को आप अपने आसपास जानते हैं जो शिक्षक बनना चाहते हैं या अपने बच्चों(बेटों) को शिक्षक बनाना चाहते हैं। हालात यहाँ तक आ गयें है कि जो लड़के इस पेशे में हैं उनकी आसानी से शादी नहीं हो रही है।
इस तरह की पृष्ठभूमि में जब आप देखते हैं कि कुछ शिक्षकों(1000 approx) को सिंगापूर आकर प्रशिक्षण का मौका मिलता है, तो फिर मेरे पास इस प्रक्रिया को ऐतिहासिक बताने का अलावा और कोई शब्द नही बच जाता है। ख़ासकर एक ऐसे दौर में जहाँ पब्लिक एजुकेशन सबसे गंभीर संकट से गुजर रहा हो, करीब-करीब अपने पतन के मुहाने पर खड़ा है। इतिहास में यह दर्ज होगा कि उस दौर में भी पब्लिक एजुकेशन को बचाने की इतनी जबर्दस्त कोशिश किसी ने की थी।
मुझे उम्मीद है कि दिल्ली के 1000 से ज्यादा शिक्षकों की यह विदेश यात्रा उनके परिवेश में बड़ी संख्या में लोगों को प्रेरित करेगी। शिक्षा के क्षेत्र में आने के लिए युवाओं को उत्साह देगी। उन्हें लगेगा कि शिक्षा के क्षेत्र में भी अनेकों अवसर हैं। जीवन यहाँ भी डायनामिक है। और इस पेशे को अंतिम विकल्प के रूप में नहीं लिया जाएगा। हमारे साथ यहाँ एक शिक्षक साथी आये हुए हैं, वो बता रहे थे जब उन्होंने अपने सिंगापुर यात्रा की कुछ तसवीरें साझा कीं तो फिर उनके पास कई दोस्तों का फ़ोन आया। उनके एक मित्र डेपुटी कलेक्टर हैं, उन्होंने कहा कि तुम्हारी नौकरी तो मुझ से भी अच्छी है।
कितना शानदार है ये वाकया, कई लोगों को मैं जानता हूँ , जो अपने पब्लिक लाइफ में यह बताना पसन्द नहीं करते हैं कि वो शिक्षक हैं। दिल्ली सरकार की यह पहल शिक्षक के पेशे को एक डिग्निटी प्रदान करती है।
फिलहाल करीब करीब 55 शिक्षक साथी NTU, NIE में आये हुए हैं। यह दुनिया में यूनिवर्सिटी रैंकिंग में 12 वें स्थान पर है। बहुत बड़ी बात है। क्लासरूम के अंदर तीन बातें बहुत प्रभावशाली है। एनर्जी, प्लांनिग और मेथोडोलॉजि। सिंगापुर में 350 के आसपास स्कूल है और करीब 40,000 शिक्षक यहाँ काम करते हैं।
शिक्षा में अगर हमे क्रांतिकारी परिवर्तन लाना है , तो शिक्षकों में निवेश करना होगा। इसका कोई विकल्प नहीं है । इस बात में कोई दो राय नही है कि हम सब के जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व है, हमारी यह टॉप प्रायोरिटी है। मुझे लगता है, कि किसी एक बात पर अगर सभी लोग एक मत हो सकते हैं तो वो है अच्छी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की जरूरत। और जो दूसरी बात जिसपे हम सब सहमत हो सकते हैं कि हमारे पब्लिक डिस्कोर्स का हिस्सा ये कभी नहीं बनता है। क्या कभी हम अपनी सरकारों से यह पूछते हैं, कि कितने स्कूल, कॉलेज, बनवाये? क्या कभी हम पूछते हैं, कि क्यों हमारे शिक्षक कॉन्ट्रेक्ट पर मजदूरी कर रहें हैं? इत्यादि। डेमोक्रेसी में जो मुद्दे राजनीतिक डिस्कोर्स का हिस्सा नहीं बनेंगे, उसको किनारे कर दिया जाएगा। क्या आप चाहते हैं, कि शिक्षा के मुद्दे को ऐसे ही दर किनार कर दिया जाए? मैनिफेस्टो देखिये, ढूंढिए की विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए शिक्षा कितना महत्वपूर्ण विषय रह गया है।
#DelhiEducationRevolution
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