Democratic School

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Posted on: Sat, 10/31/2020 - 07:06 By: admin

Democratic School edited by

Michael W. Apple & James A. Beane

पुस्तक पर चर्चा सीरीज के सातवें अंक में आज हम बात कर रहे हैं डेमोक्रेटिक स्कूल की।

करीब- करीब 144 पेज की किताब इंटरनेट पर उपलब्ध है। एकलव्य नामक संस्था के द्वारा इसे प्रकाशित किया गया है। Michael W. Apple तथा James A. Beane के द्वारा किताब को संपादित किया गया है।

यह एक बेहतरीन किताब है और किताब की पूरी अवधारणा इस बात पर जोर देती है कि हम अगर एक लोकतांत्रिक समाज में रहते हैं तो हमें लोकतंत्र से जुड़े हुए रेटोरिक से निकल कर लोकतंत्र को अपने दैनिक जीवन में देखना होगा। हमें कोशिश करनी होगी कि किस तरह हम ज्यादा से ज्यादा फैसले लोकतांत्रिक तरीके से ले सकें। इस किताब को पढ़ते हुए आप महसूस कर सकते हैं कि लोकतंत्र सिर्फ बातचीत किए जाने वाला एक अवधारणा नहीं है बल्कि यह एक ऐसी अवधारणा है जिसको हम जीते हैं।

इस पुस्तक में यह बताया गया है कि किस तरह लोकतांत्रिक अवधारणा हमारे क्लास रूम के भीतर लाया जा सकता है। जिन लोकतांत्रिक प्रयोगों का जिक्र किया गया है वह हमें बहुत मदद कर सकता है अगर हम भी वास्तव में अपने क्लास को लोकतांत्रिक बनाना चाहते हैं। शिक्षकों के लिए इस किताब को एक तरह से ‘know how’ के केटेगरी में रखा जा सकता है। अगर आप अपने बच्चों के साथ क्लास रूम में इस तरह के कुछ प्रयोग करना चाहते हैं तो पहले कदम से आखरी कदम तक आप किस तरह उसको करें,किस तरह की समस्याओं का आपको सामना करना पड़ सकता है इन सभी के बारे में जानकारी इस किताब से मिलती है।

लोकतांत्रिक क्लास रूम में कुछ बेहतरीन सवालों के इर्द-गिर्द शिक्षक और बच्चे मिलकर कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। इनमें से कुछ सवाल मैं लिख रहा हूं,आपके लिए भी दिलचस्प हो सकता है

Who is actually in control?

Whose voice is actually being heard?

ये सवाल इतने महत्वपूर्ण हैं कि इसकी सार्थकता किसी भी संदर्भ में देखी जा सकती है। डेमोक्रेटिक स्कूल के इस प्रयोग में बच्चों की जिंदगी से जुड़े हुए अनुभवों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया जिससे कि यह साबित हो सके कि वह जो सोचते हैं, वह जो देखते हैं उसका भी महत्व है और क्लासरूम के अंदर उनकी बातों को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया जा सकता है।

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स्कूल रिफॉर्म के बारे में भी काफी चर्चा की गई है और बताया गया है कि कोई भी स्कूल रिफार्म तभी लंबे समय तक बनी रह सकती है जब सभी स्टेक होल्डर एक साथ मिलकर काम करें। इस संदर्भ में किताब से लिया हुआ यह पैराग्राफ महत्वपूर्ण है।

“ School reform needs small groups of committed individuals at both the district leadership levels and the building and community levels. If only the former exists, school reform fails because it has a top-down, authoritarian style that alienates the teachers who must ultimately embrace the changes that need to take place in the classroom”.

स्कूल कोई एक अलग-थलग पड़ी संस्था नहीं है, यह एक समाज के अंदर ही काम करता है । स्कूल समाज को प्रभावित करता है और साथ ही समाज में होने वाली घटनाएं स्कूल को प्रभावित करती है, इस संदर्भ में स्कूलों के भविष्य को लेकर लिखते हुए कहा गया है

“So the future of school is linked to broader social

movements. Our schools, our cities and our children will not survive the rising tide of poverty, inequality and violence without a social movement that demands from the whole of the society what many are demanding from school alone”

इस किताब को पढ़ते हुए आपको एहसास होगा जैसे कि किसी ने इस किताब को पढ़कर ही दिल्ली में हो रहे स्कूली व्यवस्था में सुधार के लिए कदम उठाया हो। जिस अमेरिकी स्कूल का जिक्र किया गया है उसको हम अपने यहां के RPVV हरी नगर से तुलना कर सकते हैं। किताब में ही यह पंक्ति मुझे मिली और मुझे लगता है कि इससे बेहतर आखरी लाइन और क्या हो सकता है

“Our children’s lives and futures are at stake. Let us not wait for others to act”