आज सुबह मैंने सुमित से पूछा कि वीर क्यों नही आया? तभी ऋतिका बीच में बोल पड़ी, “सर को बता दूँ?” फिर चुप हो गई….. मैंने ज़िद की तो फिर बोली कि सर, कल न… वीर को पुलिस ले गई थी। फिर सुमित बताने लगा,” सर! उसने न चोरी की थी| कल कुछ बच्चों ने मिलकर दुकान से कुछ चुराने की कोशिश की और पकड़े जाने पर एक ने बाकी बच्चों के नाम भी बता दिए। सुमित कहने लगा कि सर… मेरा भी नाम दिया था, पुलिस ने मुझे दो थप्पर लगाया। सुमित ने बताया कि वह नही जाता है चोरी करने।
मैंने फिर पूछा कि और कौन जाते हैं अपने क्लास से चोरी करने? सुमित ने वीर, रोहन तथा आकाश का नाम लिया।
रोहन कई महीनों बाद आज स्कूल आया है। मैं अक्सर बच्चों को उसे बुला के लाने के लिए कहता था। रोहन ने अपने घर पे कुत्ते पाल रखे हैं, बच्चे कुत्ते के डर से वहाँ नहीं जाते हैं। मैंने किसी तरह संदेश भिजवाया कि 3000 रूपये मिलने वाले हैं, किसी तरह रोहन को बुलवा लो। आज वो आया है। मैंने उसे अपने पास बुलाया और फिर पूछा कि क्या वो जाता है चोरी करने? रोहन ने बिना हिचक इस बात को कबूल कर लिया। मैंने उसे कोई ऐसा वाकया बताने को कहा जब उसे बहुत डर लगा हो। उसने बताया कि जब वो कुछ लेकर भागते हैं तो डर नही लगता है, गलियों से होते हुए, अपने घर में छुप जाते हैं, पीछा करने वाला फिर उनको गलियों में ढूँढ नही पाते हैं। उसने बताया कि जब वह अपने बाकी साथियों के साथ चोरी करने जाता है, जिसमें एक सामान कोई साथी उठाता है……… फिर वह दूसरे को पास करता है…….. फिर धीरे- धीरे वहाँ से निकलते हैं, उस वक्त बहुत डर लगता है, कही कोई पीछे से आ के पकड़ न ले।
फिर मैंने उससे पूछा कि सबसे पसंदीदा चीज तुमने क्या चुराई है? उसने बताया कि उसने हाल ही में एक केप्री चुराई है, जो उसे बहुत पसंद हैं। मैंने पूछा कि क्या घर के लोग उसे कुछ नहीं कहते………. तो उसने बताया कि नहीं, वो कुछ नहीं कहते हैं।
आकाश और तुषार आज आए नहीं हैं, अभी तक मुझे पता था कि आकाश सिर्फ भीख माँगता है, उनके पास दिमागी रूप से कमजोर होने का एक सर्टिफिकेट भी है। थोड़ी सी चलने में भी तकलीफ होती है, पर आज पता चला कि दुकान से कुछ चोरी करने के बाद वह बहुत तेज भागता है और वो आज कल इन्हीं कामों के लिए इंडिया गेट भी पहुँच जाता है। मैं हैरान था कि अकेले एक 13 साल का बच्चा कैसे बस में बिना टिकट इंडिया गेट पहुँच जाता हैं?
आपको क्या लगता है? हमें क्या करना चाहिए? पिछले 3 साल में ये बच्चे मुश्किल से 30 दिन स्कूल आए हैं| जब भी इनके माता–पिता से मैं सम्पर्क करने की कोशिश करता हूँ, इनका फ़ोन बंद रहता हैं, पूछने पर पता चला कि नंबर बदल गया हैं, नया नंबर मैं जब लगाता हूँ …..फ़ोन फिर से स्विच ऑफ होने की सूचना देता है । मैं नही चाहता हूँ कि ये बच्चे स्कूल से चले जाएँ। सुनने में आया है कि सरकार इन्हें आगे की कक्षा में जाने से रोकने के लिए नो डिटेंशन पालिसी को हटाना चाहती है।
( कहानी वास्तविक है परंतु नाम काल्पनिक है)
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