We can learn a lot from Museums.

We can learn a lot from Museums.

Posted on: Sat, 10/31/2020 - 06:39 By: admin

यहां अभी वीकेंड खत्म नहीं हुआ है,आज रविवार की शाम है यहाँ। शायद यह आखिरी मौका था हम लोगों के पास वाशिंगटन की गलियों में घूमने का वैसे वाशिंगटन की सड़कों को देखकर इसको गली कहने का मन नहीं करता है। हालाँकि, दुनिया में ज्यादातर शहरों को देखने का मौका अभी मुझे नहीं मिला है लेकिन फिर भी ऐसा लगता है कि इससे सुंदर शहर और कैसा बनाया जा सकता है। इससे पहले वाशिंगटन शहर को जब मैंने देखा था,यहां विंटर का महीना था। लेकिन आज ऐसा लग रहा था कि स्प्रिंग आ चुका है। पूरी तरह से खिली हुई धूप और हवा की गति भी थोड़ी धीमी हो गई है, लेकिन हवाओं में ठंडक बनी हुई है। बहुत ही आदर्श समय है यह वाशिंगटन देखने का। वाशिंगटन मोनुमेंट के आसपास घास का मैदान बिल्कुल हरियाली से सराबोर है और पेड़ों पर भी पत्तियों का आना शुरु हो चुका है।

हम वाशिंगटन जब भी आते हैं तो मकसद होता है कि कुछ म्यूजियम को देख लिया जाए, एक से बढ़कर एक म्यूजियम है यहाँ। आज मौका था हमारे लिए साइंस एंड स्पेस म्यूजियम देखने का और साथ ही चलते चलते हमने एफ्रो -अमेरिकन म्यूजियम भी देख लिया।

मैं तो एक सामाजिक विज्ञान का शिक्षक हूं लेकिन फिर भी साइंस एंड स्पेस म्यूजियम, विज्ञान को ले करके इतनी सारी जिज्ञासा मन में जगा गई है। यहां पर आकर एक बार मेरा यह भरोसा फिर से पक्का हो गया कि हमारे बच्चे अगर विज्ञान में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं तो इसमें उनकी कोई गलती नहीं है हमने ऐसी व्यवस्था नहीं की है। म्यूजियम में ही सही स्पेसक्राफ्ट में जा कर के देखना, कॉकपिट का मजा उठाना, और राइट ब्रदर्स के साथ फोटो खिंचवाना,यहाँ के कुछ अविस्मरणीय पल बन गए।

स्पेस म्यूजियम देखते हुए यह ख्याल आ रहा था कि दुनिया में जब भी कोई बेहतरीन काम हुआ है तो लोगों ने अपनी जान की बाजी लगााकर उन कामों को सफल बनाया है। हम तो हवाई जहाज में बैठकर आराम से सो जाते हैं लेकिन लाखों लोगों ने अपनी जान को दांव पर लगाकर इस तरह के मशीन को डेवलप किया है। एस्ट्रोनॉट्स के बारे में जानकर, लगता था जैसे किसी और वे किसी और दुनिया के लोग है। कितना कम हम जानते हैं इनके बारे में। या यूं कहें कि ABCD नहीं जानते है। आदत बस ‘हम’ लिख देता हूं यहां मैं कहना उचित होगा।

अगला मौका था, एफ्रो अमेरिकन म्यूजियम जाकर देखने का। हाल ही में इस म्यूजियम को लोगों के लिए खोला गया है। म्यूजियम अमेरिका के इतिहास और दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के रूप में उभरने की प्रक्रिया में एफ्रो-अमेरिकन समुदाय के लोगों के योगदान को दिखाता है। स्पोर्ट्स,म्यूजिक, आर्ट्स, पॉलिटिक्स हर क्षेत्र में एफ्रो अमेरिकन समुदाय के लोगों ने अमेरिका के इतिहास को महान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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मुझे म्यूजियम से भी ज्यादा म्यूजियम का आईडिया पसंद आया। मेरे ख्याल से हर देश में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो राष्ट्र के महान संस्कृति पर अपना बपौती अधिकार समझते हैं। अमेरिका में एफ्रो-अमेरिकन म्यूजियम ऐसे ही लोगों को आइना दिखाता है।

मुझे नहीं पता कि अपने देश में इस तरह की कोशिश की गई है या नहीं । जहां अलग-अलग समुदाय के लोगों का इस देश की महान संस्कृति परंपरा को बनाए रखने के लिए जो योगदान है उस को प्रदर्शित किया गया हो। निसंदेह भारत की महान संस्कृति परंपरा को किसी एक समुदाय ने नहीं बनाया है, हर समुदाय का इसमें योगदान है और सभी का योगदान सराहनीय है। लेकिन ध्रुवीकरण की राजनीति इसी बात को तो नहीं पहचानती है। नहीं पहचानने की बात उचित नहीं है क्योंकि ध्रुवीकरण की राजनीति करने वाले तो जानबूझकर भारतीय संस्कृति के ऊपर कुछ ही समुदाय का दावा करते हैं यह तो उनके राजनीतिक हथकंडे का एक हिस्सा है। राष्ट्र निर्माण में और उसकी सांस्कृतिक महानता में किसी समुदाय के योगदान को कम करके आंकना राष्ट्र की पूरी परिकल्पना के साथ समझौता करना है। थोड़ी देर से ही सही,अमेरिकी समाज में जागरूकता आई और आज वह एफ्रो-अमेरिकन म्यूजियम बनाकर इस समुदाय के राष्ट्र निर्माण की भूमिका में दिए हुए योगदान को सेलिब्रेट कर रही है।

आज फिलहाल इतना ही, अगले अंक तक के लिए आपको छोड़ता हूं कुछ तस्वीरों के साथ,वाशिंगटन में खींचे हुए इन बेहतरीन तस्वीरों का आप आनंद उठाइए।

#TEASpring2018
#delhieducationrevolution