Reform Series का यह तीसरा लेख है | कोशिश है की लेख को 4 अलग -अलग श्रेणियों में विभाजित किया जाये | वे सुधार जिसको तुरंत लाने की जरुरत है, उसे मैंने # Immediate श्रेणी में रखा है इसके अलावा तीन और श्रेणी में मैंने सुधारों को बाँटने की कोशिश की है | और ये श्रेणियाँ हैं – # Short Term # Mid Term and #Long Term
पिछला दो लेख # immediate श्रेणी का था, इससे मेरा मतलब है की जिसे शिक्षक खुद शुरू कर सकते हैं |
आज के लेख को मैं # Short Term वाले केटेगरी में रखना चाहता हूँ | वजह यह है कि जिस प्रकार टेक्नोलॉजी डिसरप्टिव होती जा रही है, जितने तेजी से हमारे जीवन को प्रभावित कर रही है, ऐसे में शिक्षा में टेक्नोलॉजी के डिसरप्टिव रोल को हम ज्यादा दिनों तक टाल नहीं सकते हैं, और खासकर मोबाइल फ़ोन आधारित टेक्नोलॉजी को | ऐसा नहीं है कि टेक्नोलॉजी की अहमियत को हम जानते नहीं है, लेकिन चुकी मामला, शिक्षक और बच्चों से जुड़ा हुआ है, इसलिए हमारे समाज में यह अभी तक लार्जर डिस्कोर्स का हिस्सा नहीं बना है | शायद यह इसलिए भी है, की दोनों ही समूह पारम्परिक रूप से बहुत ही कमजोर समूह रहे हैं |
अमेरिका के जिन स्कूलों को हमें देखना का मौका मिला, वहाँ टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन अपने आदर्श स्थिति में है | हर बच्चे के पास लैपटॉप नहीं है, लेकिन स्मार्ट फ़ोन हर बच्चे के पास है | बच्चे क्लासरूम में अपने स्मार्ट फ़ोन के साथ आते हैं, मैंने शिक्षकों को इसका बेहत्तर इस्तेमाल करते देखा | जहाँ लैपटॉप की जरुरत होती है, स्कूल बच्चों को लैपटॉप भी मुहैया करवाती है | अपने यहाँ तो हम शिक्षकों के द्वारा मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल भी प्रतिबन्ध लगाए हुए हैं, बच्चों की तो बात दूर है | जाहिर है, हम इसके बेहतर उपयोग से ज्यादा, इसके गलत उपयोग को लेकर चिंतित हैं | लेकिन टेक्नोलॉजी ही इस समस्या का समाधान भी देती है | स्कूल का अपना wifi है, जिसमें रेस्ट्रिक्टिव इंटरनेट की सुविधा ही उपलब्ध है, यानि की पढाई- लिखाई से जुड़े साइट को ही खोला जा सकता है | हम जब स्कूल में थे तो वहां इंटरनेट तो उपलब्ध था, मेरे पास लेकिन, wtsapp का सर्वर काम नहीं करता था | कहने का मतलब है,की टेक्नोलॉजी से जुडी हमारी समस्याओं का समाधान भी टेक्नोलॉजी के पास है|
Kahoot, Google Website तथा google classroom का बेहतरीन इस्तेमाल होते हुए मैंने यहाँ के क्लासरूम में देखा है| podcasts तथा मूवी मेकिंग, के जरिए बच्चे बहुत क्रिएटिव तरीके से पढ़ना लिखना सीख सकते हैं।
क्लासरूम में टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन का जो एक सबसे महत्वपूर्ण पहलू यहां देखने को मिला वह यह है कि बच्चे जब टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके कोई काम करते हैं तो उनका ऑडियंस सिर्फ टीचर नहीं होता है बल्कि एक बड़ा ऑडियंस मिल जाता है कोई भी व्यक्ति बच्चों के काम को देख सकता है और बच्चे इसको लेकर के खासे उत्साहित होते हैं और साथ ही काम करते वक्त को इसको लेकर जागरूक रहते हैं।
मुझे लगता है, कि हम ज्यादा दिनों तक मोबाइल टेक्नोलॉजी का क्लास रूम में इस्तेमाल को नहीं रोक पाएंगे। यह बेहतर होगा कि एक समाज के रूप में हम इस विषय से संबंधित फैसला जल्दी से जल्दी ले जिससे कि हमारे बच्चे,हमारे शिक्षक इस दिसरप्टिव टेक्नोलॉजी का फायदा उठा सकें। एक जमाना था जब प्रिंट टेक्नोलोजी आया ही था तो ऐसे बहुत सारे लोग थे इस बात की चिंता थी की इससे बच्चे बिगड़ सकते हैं, आज हम इस बात पर भरोसा नहीं कर सकते है, शायद आने वाले 50 सालों में इस बात पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता है कि कभी ऐसा भी स्कूल था, जहाँ मोबाइल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं होता था।
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