Last day in Oakton; an American high school

Last day in Oakton; an American high school

Posted on: Fri, 10/30/2020 - 17:54 By: admin

स्कूल में आज आखिरी दिन था, लग रहा था कि कितना जल्दी यह दिन खत्म हो गया हैं, जो मिल रहा था उसी से बातें करने लग जाता था, एक फोटो के लिए आग्रह कर लेता था। मन कर रहा था कि सब कुछ समेट लूँ। भारतीय होने के कारण हमेशा से ऐसा विश्वास रहा है कि हम लोगों को अपने अतिथियों का सत्कार करना शायद दुनिया में सबसे अच्छे से आता है। लेकिन यह भ्रम अब नहीं रहा यहां अमेरिका में और खासकर यहां के स्कूल में हम सभी शिक्षकों का जबरदस्त स्वागत हुआ सभी लोग आगे आकर हमसे मिलते थे। बहुत ही गर्मजोशी से हम सभी लोगों का स्वागत किया गया।

Chris Fowler, हम सभी शिक्षकों के लिए स्कूल में कांटेक्ट पर्सन थे। वह बच्चों को वर्ल्ड हिस्ट्री पढ़ाते हैं साथ ही डिपार्टमेंट चेयर भी है। पूरे दिन में कम से कम 10 बार तो आकर पूछते ही थे सब ठीक चल रहा है हमें अगर कहीं जाना होता था, किसी खास क्लास को ऑब्जर्व करना होता था या किसी शिक्षक से बैठ कर बात करना होता था तो तुरंत हमें साथ ले करके जाते थे। फाउलर इस पेशे में आने से पहले करीब 20 साल तक अमेरिकी सेना में काम कर चुके हैं और इसी दौरान वे पनामा, अफगानिस्तान इत्यादि जगह पर रहे हैं l स्कूली बच्चों को लेकर कई बार यूरोप ट्रिप पर गए हैंl गर्मियों की छुट्टी में ईस्ट कोस्ट से वेस्ट कोस्ट तक ड्राइव करने में इन्हें बहुत मजा आता है। हम लोगों से मिलते ही पूछते थे-All good, उनकी यह बात हम सब लोगों को इतना अच्छा लगता है कि अब जब हम एक दूसरे से मिलते हैं, तो पूछते हैं-All good। बच्चों के बीच भी बहुत लोकप्रिय है फाउलर । कॉरिडोर में चलते हुए,हर दूसरा तीसरा बच्चा उनके साथ हाई फाई करता है। कोई पूछता है कि हाउ आर यू फाउलर। तो किसी का हाल ये पूछ लेते थे।

 

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फाउलर को लगता था कि जितना इन शिक्षकों को दिखाया जा सकता है वह दिखा दिया जाए कभी-कभी हमें लेकर आसपास के किसी रेस्टोरेंट में निकल जाते थे, तो कभी शाम को होटल से हमें स्कूल ले जाते थे बच्चों का बास्केटबॉल गेम दिखाने।

यह गर्मजोशी ही तो है जिसको हम नहीं भूल पाते हैं वरना मिलते तो हम कितने ही लोगों से हैं। यहां फॉलर के बारे में जो दो-तीन बातें आप को बताई उससे कई और बातें सीखने को मिलती है। अमेरिका में आपको कई देशों का यात्रा कर चुके लोग यूं ही कहीं मिल जाएंगे । ऐसा लगता है कि यह अमेरिकी संस्कृति का हिस्सा है । यह दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जाकर दुनिया को देखना चाहते हैं। शिक्षक आपस में बातचीत करते हुए अपने समर हॉलिडे के बारे में बताते थे, किसी का प्लान रूस जाने का है तो किसी ने मोरक्को के लिए टिकट ली हुई है। हालांकि मैं जितने भी लोगों से मिला हूं सब को भारत आने का न्यौता दिया है।

भले ही फाउलर में जितनी ऊर्जा भरी हुई है उतनी ऊर्जा सभी शिक्षकों में नहीं है लेकिन एक भी शिक्षक मुझे ऐसा नहीं मिला जो सोचता हो कि कहां फंस गया हूं इससे अच्छा तो क्लर्क हो जाता। इस पेशे में लोग अपनी मर्जी से आए हैं किसी तरह की मजबूरी से नहीं । बहुत सारे युवा शिक्षक भी देखने को मिले और वह अपने इस पेशे पर बहुत गर्व महसूस करते हैं। इस पेशे में आने के लिए किसी भी विषय में बैचलर डिग्री की जरूरत होती है और साथ ही टीचिंग लाइसेंस लेना होता है जिसके लिए एग्जाम पास करना होता है। भारत की तरह, टीचर ट्रेनिंग का अलग से कोई पूरा कोर्स करना अनिवार्य नहीं है यही वजह है कि अलग-अलग पेशे में काम करने वाले लोग भी, टीचिंग लाइसेंस लेकर इस पेशे में आ सकते हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि टीचर ट्रेनिंग की अहमियत नहीं है। जिन शिक्षकों ने अपने बैचलर्स के दौरान अलग से 15 क्रेडिट शिक्षा से जुड़े हुए विषय पर या टीचर ट्रेनिंग से जुड़े विषय का कोर्स किया है उनकी तनख्वाह बाकियों से ज्यादा होती है जिन्होंने 30 क्रेडिट लिया हुआ है उनकी तनख्वाह और ज्यादा होती है।

शिक्षकों की तनख्वाह के लिए उनके शैक्षिक योग्यता का बहुत महत्व है जिनके पास मास्टर्स है उनकी तनख्वाह बैचलर्स वालों से ज्यादा होती है और जिनके पास पीएचडी है उनकी तनख्वाह सबसे ज्यादा होती है। तनख्वाह निर्धारित करते समय दो बातों पर खास ध्यान रखा जाता है -अनुभव तथा शैक्षणिक डिग्री। अभी तक तनख्वाह कितनी मिलती है इस बारे में मैंने नहीं बताया है और मुझे यकीन है कि अगर मेरे कोई शिक्षक साथी यह पढ़ रहे हैं तो यह जानने के लिए सबसे ज्यादा उत्सुक होंगे,स्वभाविक है, मैं भी होता हूं। हमारे यहां शिक्षकों के शैक्षणिक डिग्री से उनके तनख्वाह का कोई लेना देना नहीं होता है। इस संबंध में विस्तार से चर्चा कभी और करूंगा ।