बच्चों की नजर से परीक्षा: तनाव, तैयारी और उम्मीदें

 बच्चों की नजर से परीक्षा: तनाव, तैयारी और उम्मीदें

Posted on: Sun, 02/09/2025 - 06:18 By: admin
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 बच्चों की नजर से परीक्षा: तनाव, तैयारी और उम्मीदें

 

देशभर में इस समय वार्षिक परीक्षाओं का दौर चल रहा है। हमें अंदाजा तो होता ही है कि बच्चों पर एक दबाव बना रहता है, लेकिन यह दबाव वास्तव में कैसा होता है? आइए, आज हम इसे उन्हीं के शब्दों में समझने की कोशिश करते हैं। ये लेख बच्चों ने सत्र 2019-20 में लिखे हैं। ये सातवीं-आठवीं कक्षा के विद्यार्थी हैं। मेरी कक्षा में बच्चों को हर दिन एक पेज लिखकर लाना होता है, और वे विभिन्न मुद्दों पर लिखते हैं। अपने डॉक्टोरल थीसिस में, मैंने इस विषय पर गहराई से विचार किया है कि इन लेखों का उपयोग शिक्षक अपने विषय को पढ़ाने में कैसे कर सकते हैं। पढ़ने में स्पष्टता लाने के लिए, मैंने बच्चों के इन लेखों में व्याकरण संबंधी त्रुटियों को सुधार दिया है। अब आइए देखते हैं कि बच्चे परीक्षा को लेकर वास्तव में क्या सोचते हैं। नीचे मैं चार अलग-अलग बच्चों द्वारा लिखे गए लेख शामिल कर रहा हूँ।

 

“सुबह के 10:00 बजे हैं, और मैं काम करने के लिए बैठी हूँ। मेरा मन लिखने का कर रहा है। हालांकि, यह भी महसूस हो रहा है कि मन लिखने को कर भी रहा है और नहीं भी कर रहा है। मुझे अपने पेपर की बहुत टेंशन हो रही है कि मेरा पेपर कैसा जाएगा। कभी-कभी ऐसा होता है कि जो हम याद करते हैं, वह नहीं आता, और जो हम याद नहीं करते, वही आ जाता है। पेपर की वजह से हम न तो टीवी देख पाते हैं और न ही खेलने जा सकते हैं। घर में रहते हैं तो मम्मी कहती हैं कि पढ़ाई कर लो। अगर हम हल्का सा भी आराम कर लें, तो मम्मी कहती हैं कि 'तुम कुछ नहीं कर रही हो, चलो घर का काम करो।' पेपर की वजह से हम कहीं घूमने भी नहीं जा सकते, और परीक्षा का कोई खास बदलाव भी नहीं हो रहा है। पेपर एक दिन छोड़कर एक दिन हो रहा है। इतने सारे त्योहार आ रहे हैं, लेकिन डर की वजह से हम इन त्योहारों को इंजॉय भी नहीं कर पा रहे हैं। ऊपर से, अपने भाई-बहन को भी पढ़ाना पड़ता है, जिससे मैं खुद ठीक से पढ़ाई नहीं कर पा रही हूँ। अगर मेरे छोटे भाई-बहन के पेपर में अच्छे नंबर नहीं आए, तो डाँट मुझे ही पड़ेगी कि मैंने अच्छे से नहीं पढ़ाया। मम्मी कहती हैं कि 'पेपर से पास नहीं होना, बल्कि अच्छे नंबर लाने हैं!'”

 

“पेपर की परेशानी सच में बहुत होती है, जिससे हम सभी परेशान हो जाते हैं। मेरा भी विज्ञान का पेपर है, और इसे लेकर मैं बहुत चिंतित हूँ। मुझे अपने पेपर के बारे में सोचकर डर लग रहा है। मैं सोच रही हूँ कि विज्ञान के पेपर में क्या पूछा जाएगा। मैं एक और बात कहना चाहती हूँ—पेपर तो सभी को देना ही पड़ता है, लेकिन क्या सिर्फ पेपर से ही हम एक सफल इंसान बन सकते हैं और अपना सपना पूरा कर सकते हैं? क्या पेपर देना बहुत ज्यादा जरूरी है? अगर हम पेपर न दें, तो हम बड़े इंसान कैसे बन सकते हैं और अपना सपना कैसे पूरा कर सकते हैं? नहीं, पेपर के बिना शायद हम सफल नहीं हो सकते। मुझे बाकी बच्चों की भी चिंता हो रही है क्योंकि कुछ बच्चे पेपर से बहुत ज्यादा डरते हैं। और मैं आपको क्या बताऊँ, मुझे भी पेपर को लेकर बहुत परेशानी होती है। अक्सर ऐसा होता है कि जो हम याद करते हैं, वह पेपर में नहीं आता, लेकिन कुछ प्रश्न वैसे ही आ जाते हैं। अगर मैं पेपर बनाती, तो मैं बच्चों के लिए आसान प्रश्नपत्र तैयार करती, ताकि वे बिना डर के परीक्षा दे सकें। पेपर वास्तव में एक बड़ी चुनौती होती है। सोचिए, अगर पेपर न होते, तो हम आसानी से पास हो जाते! सर, आपने भी कभी न कभी पेपर दिए होंगे, और आपको भी पता होगा कि जब परीक्षा का दबाव होता है, तो कैसा महसूस होता है। लेकिन अगर पेपर न होते, तो आप टीचर कैसे बनते और हमें कैसे पढ़ाते?”

 

“जब परीक्षा का समय आता है, तो ऐसा लगता है जैसे सब कुछ खत्म हो गया हो। आज 5 सितंबर 2019 है, और मेरी परीक्षा 12 तारीख से शुरू हो रही है। लेकिन मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पा रहा हूँ, जबकि परीक्षा में अब सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। आज मैं ऐसी स्थिति में हूँ, जहाँ परीक्षा का दबाव मेरे दिमाग पर भारी पड़ रहा है। इसकी वजह से मेरी हालत ऐसी हो गई है कि समझ ही नहीं आ रहा कि मेरा पेपर कैसा जाएगा।”

 

 “जब पेपर आते हैं, तो हमें डर लगता है और हम सोचते हैं कि पेपर कैसा होगा। हम पेपर की तैयारी करने लगते हैं, लेकिन जब परीक्षा में सिर्फ एक दिन बचता है, तो दिमाग में तरह-तरह के सवाल उठते हैं—'क्या मैं पेपर में पास हो जाऊँगा?', 'क्या मेरा पेपर अच्छे से जाएगा?' जिस दिन पेपर होता है, उस दिन बच्चे बहुत घबराए होते हैं। वे जल्दी परीक्षा केंद्र पहुँचते हैं, और जब उन्हें प्रश्नपत्र मिलता है, तो वे उसे ध्यान से समझने लगते हैं। जैसे ही सवाल समझ में आने लगते हैं, हमारा डर धीरे-धीरे खत्म हो जाता है, जिससे हम अच्छा पेपर दे पाते हैं। फिर भी, यह डर बना रहता है कि जो उत्तर हमने लिखा है, वह सही है या नहीं।”