क्या आप लिखना चाहते हैं?
पिछले लेख में पढ़ने की आदत कैसे विकसित की जा सकती है इस संबंध में विस्तार से मैंने लिखा था। नए साल का यह पहला ही सप्ताह है और ऐसा मानकर चला जा सकता है कि हम में से अधिकतर लोग अपने न्यू ईयर रेजोल्यूशन पर बने रहना चाहते हैं और इसी का अंदाजा लगाते हुए लिखने की आदत कैसे विकसित की जाए इस संबंध में मैं इस लेख में चर्चा करने जा रहा हूं। मेरे पीएचडी का संबंध भी आंशिक रूप से बच्चों में लिखने की आदत विकसित करने से है।
इस बात में कोई शक नहीं कि यह एक कठिन कौशल है। और यह एक ऐसा कौशल है जिस पर संपूर्ण आधुनिक मानव सभ्यता टिकी हुई है। 'कृषि में अतिरिक्त उत्पादन' के बाद अगर मानव सभ्यता की नींव की दूसरी कोई बड़ी घटना ढूंढनी हो तो 'लिखने के कौशल' का विकास ही माना जा सकता है। विकास की प्रक्रिया में यह एक आधुनिक कौशल है। यह मुश्किल नहीं है कि आप अपने आसपास ऐसे कई लोगों को जानते होंगे जो लिखकर अभिव्यक्त नहीं कर पाते हैं।
लिखना क्यों जरूरी है इस संबंध में हम यह मानकर चलेंगे कि इस लेख को पढ़ने वाले लोग इस बात को पहले से ही जानते हैं। फिर भी एक उदाहरण मैं देना चाहूंगा कि हर दो पीढ़ी के बीच लिखी हुई बातें एक कड़ी का काम करती है। इसे हम एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के बीच एक पुल के रूप में देख सकते हैं। हर लिखने वाला व्यक्ति उस पुल के निर्माण में अपना योगदान दे रहा है।
आप जरा सोच कर देखिए कि अगर आज से हजार साल पहले किसी व्यक्ति के द्वारा लिखा हुआ डायरी का एक पन्ना आज हमें मिल जाए तो किस प्रकार वह एक पन्ना हमें उस वक्त की जिंदगी के कुछ पहलुओं पर रोशनी डालने में मदद करता है। भारत में अनेक विदेशी यात्री आए और उन्होंने अपनी डायरी में उस वक्त की घटनाओं को दर्ज किया। आज इतिहास जानने का वह हमारे लिए एक मुख्य स्रोत है। हम में से प्रत्येक व्यक्ति हर वक्त इतिहास निर्माण की प्रक्रिया का एक हिस्सा है, हमारा लिखना उस प्रक्रिया को मजबूत बनाता है।
बहरहाल इस सवाल पर वापस आते हैं कि कैसे लिखा जाए? और इससे भी महत्वपूर्ण सवाल कि हम कैसे लिखते रह सकते हैं?
लिखने वालों के मन में एक स्वाभाविक डर जो बहुत शुरू से ही जगह बना लेती है… लोग पढ़ेंगे तो क्या कहेंगे कहीं गलत तो नहीं लिख दिया? मैं अभी नहीं लिखूंगा क्योंकि मुझे वैसा लिखना नहीं आता है जिसे अच्छा माना जाता है। मेरे लिखे हुए को आखिर पढता कौन है? यह तमाम ऐसे सवाल हैं जो लिखने की शुरुआत करने वाले लोगों को हतोत्साहित करता है। और मुट्ठी भर लोग इन सवालों का सामना करते हुए इन से जूझते हुए आगे निकलते हैं और एक लेखक के रूप में अपने आप को स्थापित कर पाते हैं।
शुरुआत कैसे की जा सकती है?
डायरी लिख कर! विकास की प्रक्रिया जैसे अन्य क्षेत्रों में काम करता है ठीक उसी प्रकार यह लिखने के क्षेत्र में भी काम करता है। जैसे एक छोटा बच्चा धीरे-धीरे बड़ा होता है, उसकी रुचि और उसका कार्यक्षेत्र लगातार विस्तृत होता रहता है, मेरे ख्याल से लिखने में भी ऐसा ही होता है। हम शुरुआत अपने लिए लिखने से कर सकते हैं- डायरी लिख सकते हैं जिसे हम खुद पढ़ेंगे। और जब आप लगातार डायरी लिखते हैं तो एक दिन ऐसा आता है कि आपका मन करेगा कि इसके एक पन्ने को मैं अपने साथियों से, परिवार के सदस्यों से भी साझा करूं! कई बार आगे बढ़कर हम सोशल मीडिया पर भी पोस्ट कर देते हैं। फिर कभी हमारा लिखा हुआ किसी मैगज़ीन में, किसी जर्नल में तो कभी न्यूज़पेपर का हिस्सा बनता है। आगे बढ़ते हुए कभी यह किताब की शक्ल ले लेती है तो कभी पीअर रिव्यूड रिसर्च जर्नल का हिस्सा बन जाता है। यह एक धीमी और लंबी प्रक्रिया है। लेकिन शुरुआत करना बहुत आसान है और इसका विकास खुद-ब-खुद होता रहता है। पिछले लेख में मैंने लिखा था कि अच्छा लिखना बहुत सारा खराब लिखने से ही सम्भव हो पाता है।
नए लेखकों को इस बात की फ़िक्र नहीं करनी चाहिए कि उनका लिखा हुआ कौन पढ़ता है? कितने लोगों ने पसंद किया या अपनी प्रतिक्रियाएं दी? उन्हें यही सोचना चाहिए कि वह खुद के लिए लिखते हैं। वैसे बड़े लेखक भी यह बात मानते हैं कि वे खुद के लिए लिखते हैं अपनी समझ को बेहतर और तारतम्य बनाने के लिए वे लिखते हैं। इस संबंध में कई किताबें भी उपलब्ध हैं जिसे पढ़ा जा सकता है, दूसरे लेखकों का जो अनुभव रहा है उससे सीखा जा सकता है। लेकिन अंततः जिस प्रकार पानी में उतरे बिना तैरना नहीं सीखा जा सकता है वैसे ही लिखे बिना लिखना नहीं सीखा जा सकता है। अंत में एक बात और…मैं मानता हूँ कि लिखना एक साहसिक कृत्य है, लिखने के लिए आपको हिम्मत दिखानी पड़ेगी और जैसे-जैसे लिखते जाएँगे हिम्मत भी बढ़ती जाएगी यानी कि आप ज्यादा साहसिक बनते जाएँगे।
कुछ लेखकों को जब आप पढ़ते हैं,आपके मुँह से अनायास निकलता है… "हाउ कैन समबडी राइट लाइक दिस?" ऐसा एहसास मुझे विल डुरंट को पढ़ते हुए हुआ है, जॉन डीवी को पढ़ते हुए हुआ है, सिमोन को पढ़ते हुए हुआ है। और भी कई लेखकों को पढ़ते हुए ऐसा एहसास हुआ है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कभी आपको यह एहसास नहीं होगा कि आप मास्टर हैं। हर वक्त यह एहसास होगा कि कुछ कमी है, बेहतर करने की गुंजाइश है यानी कि आप हमेशा एक लर्नर बने रहेंगे!
लिखने के संबंध में कुछ किताबें जो मैं पढ़ रहा हूँ उसका नाम आपके साथ साझा करता हूँ लेकिन इन किताबों का महत्व कुछ खास संदर्भों में है। सबके लिए यह उपयोगी नहीं हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि लिखने की इस यात्रा में आप किस पड़ाव पर हैं।
- If you want to write- Brenda, Ueland
- How to write a lot- Paul J. Silvia
- The thesis and the book- Ed. by Eleanor Harman
- Log in to post comments