क्या होगा आकाश का ?
आकाश से मेरी मुलाकात करीब तीन साल पहले हुई थी। आकाश का दाख़िला मेरे स्कूल में छठी कक्षा में करवाया गया था। एक बहुत ही खुश मिज़ाज एवं शरारती बच्चे के रूप में मेरा उससे परिचय हुआ। वह पढ़ने लिखने में कमज़ोर था, लेकिन इस बात से मुझे कोई ज़्यादा परेशानी नहीं हुई, क्योंकि ज़्यादातर बच्चे ऐसे ही थे। धीरे-धीरे आकाश से मेरी जान-पहचान बढ़ी और इसी दौरान एक दिन पता चला कि आकाश दिमागी रूप से कमज़ोर है। उसके माता-पिता ने इस सिलसिले में चिकित्सा प्रमाण पत्र भी बना रखा है। इसके माध्यम से आकाश को कुछ सरकारी सहायता मिल जाती है।
आकाश हर काम में आगे रहता है। सुबह के प्रार्थना के समय वह कतार में सबसे आगे खड़ा होता है…… प्रार्थना करते समय अपनी पूरी ताकत लगा देता है| कई बार उसकी आवाज़ कतार में खड़े बाकी बच्चों की सामूहिक आवाज़ पर भारी पड़ती है| राष्ट्रगान के समय अपने सुरों और आवाज़ की गति पर अक्सर नियंत्रण खो देता है…….फिर पास ही में खड़े कोई शिक्षक उसे थोड़ा-सा हिला देते हैं जिससे कि वह अन्य बच्चों के साथ लय में लय मिला कर गा सके|
स्कूल से बाहर जब किसी कार्यक्रम में वह हिस्सा लेने जाता है तो बहुत ही उत्सुकता से कार्यक्रम का आनंद उठाता है| अगले दिन जब स्कूल में आकर, सुबह प्रार्थना के समय कार्यक्रम में सीखी गई बातों को अन्य बच्चों के साथ साझा करने के लिए किसी बच्चे को बुलाया जाता है, तब आकाश पूरी जोश और तत्परता के साथ आगे आता है….माइक हाथ में ले कर पूरे स्कूल को बताता है कि कल के कार्यक्रम में उसे बहुत मज़ा आया| वह कहता है “कल मैं घूमने गया था…. मैंने अच्छी-अच्छी चीज़ें देखी……बड़ा मज़ा आया|’’
आकाश अपना जन्म दिन साल में कई बार मनाता है| करीब तीन साल के बाद हमें आकाश के साल में तीन बार, कभी-कभी चार बार भी, जन्मदिन मनाने का राज़ समझ में आया है| वैसे उसे याद नहीं रहता है कि उसका जन्म दिन कौन-सी तारीख को आता है, यूँही जिस दिन उसकी जेब में पैसा रहता है…..कुछ चॉकलेट खरीद कर ले आता है| फिर वह चॉकलेट लेकर शिक्षकों के पास जाकर अपने जन्म दिन होने की बात बताता है…..शिक्षक उसे जन्मदिन की बधाई देते हैं| फिर वह सीधे प्रिंसिपल सर के पास पहुँच जाता है| सर उसे पेन, रजिस्टर, कार्ट बोर्ड, तथा अन्य कई गिफ्ट देते हैं| शायद इसी से उत्साहित हो कर वह वर्ष में कई बार अपना जन्मदिन मनाता है|
स्कूल में जब खेल दिवस या वार्षिकोत्सव का आयोजन होता है….आकाश काफ़ी उत्साहित रहता है, शारीरिक तथा मानसिक दुर्बलता के कारण वह किसी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाता है, लेकिन मैडल पहनने के लिए बहुत ही उत्साहित रहता है| प्रतियोगिता के ख़त्म होने के बाद, बाकायदा हम आकाश को मंच पर बुलाते हैं, प्रिंसिपल सर उसे खुद गोल्ड मैडल पहनाते हैं| आकाश अगले कई दिनों तक मैडल पहन के ही स्कूल आता है, साथियों को मैडल दिखाकर अक्सर चिढ़ाता है|
मिड-डे मील के तहत जो खाना आता है, उसके लिए वह हमेशा उपप्रधानाचार्या मैडम के पास जाकर उन से खाने का बर्तन माँगता है| मैडम उसे बर्तन देते हुए कहती हैं,“कल से घर से बर्तन ले आना|” “ठीक है मैडम”…..भागते हुए आकाश उत्तर देता है…..वही सवाल और फिर वही जबाब पिछले कई सालों से चल रहा है|
स्कूल के सभी शिक्षक आकाश को जानते हैं, सभी बच्चे आकाश को जानते हैं, आकाश भी सभी को जानता है| हमने उसको पढ़ना सिखाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी, स्पेशल एजुकेशन के शिक्षक, एजुकेशनल कौंसिलर, शिक्षक, सभी ने पूरी कोशिश की…..लेकिन हम आकाश को पढ़ना-लिखना नहीं सिखा पाए हैं, लेकिन हाल ही में वह रुपयों को पहचानना सीख गया है| किताबों में लिखी हुई बातें वह नहीं सीख पाया है लेकिन स्कूल आने से वह अन्य कई बातें सीख गया है|
आज स्कूल में PTM था…..आकाश के पापा मुझ से मिलने आए थे| बातचीत के सिलसिले में उन्हें पता चला कि फेल न करने की व्यवस्था सिर्फ़ आठवीं कक्षा तक ही है, आठवीं कक्षा ख़तम होने में अब चंद महीने ही बच गए हैं| अचानक एक सवाल पर हम दोनों एक-दूसरे की तरफ़ देख रहे थे…….बोलने के लिए कुछ भी नहीं था…..और वह सवाल था कि
अब क्या होगा आकाश का ?
- Log in to post comments