आन्दोलन के प्रति दुराग्रह आपको लोकतान्त्रिक समाज में नागरिक होने से रोकता है

Posted on: Sat, 02/06/2021 - 04:05 By: admin

आन्दोलन के प्रति दुराग्रह(contempt) आपको लोकतान्त्रिक समाज में नागरिक होने से रोकता है

 

आप एक सूचि बनाइये ! सूचि में उन सभी वस्तुओं, सेवाओं और अवसरों को लिखिए जिसे आप अपने गरिमामयी जीवन के लिए जरुरी मानते हैं|

सहायक शिक्षिका से सहायक प्राध्यापक तक

Posted on: Sat, 01/02/2021 - 02:55 By: admin

सहायक शिक्षिका से सहायक प्राध्यापक तक

By Neeta Batra

आज यह आर्टिकल मैंने SCERT, Delhi में बैठकर लिखा।  जब  लंच से पहले वाले सेशन में  Director SCERT,  Joint Director SCERT, तथा  Principals, DIET के द्वारा मुझे बार-बार असिस्टेंट प्रोफेसर के पद नाम से बुलाया, तो मुझे एक खुशी तथा जोश की लहर का अनुभव हुआ! मन में विचार आया कि जिस तंत्र में मुझे सपोर्ट किया और यहां तक पहुंचने में मदद की है उसका मन से धन्यवाद करना चाहिए। वह सपना जिसे मैंने बचपन से देखा था कि मुझे प्रोफ़ेसर बनना है आज पूरा हुआ ।

कृषि कानूनों की वापसी से अधिक व्यापक है किसानों के आंदोलन के मायने

Posted on: Fri, 12/11/2020 - 10:33 By: admin

आज सुबह राधेश्याम जी को डांट पड़ते हुए मैंने देख लिया था। उस वक्त तो नहीं, लेकिन दोपहर जब मैं घर लौटा तो थोड़ी देर उनके पास बैठ गया पूछा उनसे

 क्या बात हो गई थी? क्यों सुपरवाइजर डांट रहा था आपको?

सामाजिक विज्ञान में अवधारणा की समझ

Posted on: Sat, 10/31/2020 - 08:12 By: admin

एक बार पढ़ने पढ़ाने के तरीके पर चर्चा करते समय शिक्षाविद प्रोफेसर कृष्ण कुमार अवधारणा का प्रश्न उठाते हैं कि एक शिक्षक के नाते शिक्षण प्रक्रिया में हम इसे कितना महत्व देते हैं , या कितना देना चाहिए।
‘अवधारणा’ किसी भी विषय को समझने-समझाने का प्राथमिक पैमाना है। यह एक सहज, प्राकृतिक व अनिवार्य शर्त है – शिक्षण प्रक्रिया की। उतनी ही सहज जैसे वृक्ष कहते ही हरी पत्तियों से लदा एक तना मिट्टी में अपनी जड़ जमाए दिख जाए ।
पर क्या हम अपनी शिक्षण प्रक्रिया में इसे इसी रूप में समाहित कर पाते हैं ?

समावेशी समाज के लिए जरूरी है सरकारी स्कूलों का अस्तित्व।

Posted on: Sat, 10/31/2020 - 08:10 By: admin

पिछले वर्ष मैंने अपनी बेटी का दाखिला एक सरकारी स्कूल में दूसरी कक्षा में करा दिया। अपनी बेटी को प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूल में कराने का मेरा निर्णय सिर्फ़ आर्थिक कारणों से नहीं था। मैं चाहता था कि बेटी समाज की वास्तविकता और विविधता में रहकर सीखे। वह समझ सके कि हम जैसे मध्यवर्गीय या निम्न मध्यवर्गीय परिवारों से अलग ढर्रे पर चलने वाली दुनिया भी अस्तित्व में है। वह जान सके कि दुनिया की बहुरंगी वास्तविकताएं और जरूरतें हैं। लोगों का आचार- विचार- व्यवहार बहुत हद तक इन्हीं सबसे निर्धारित होता है। वह यह भी जान सके कि इनमें से कुछ भिन्नताओं को हम इंसानों ने ही स्वार्थवश गढ़ा है जो विषमता

उमीद की किरण

Posted on: Sat, 10/31/2020 - 08:06 By: admin

आज के इस दौर में, जहाँ कई कारणों से सरकारी विद्यालयों के प्रति समाज में अविश्वास पनपा हैI या यूं कहें की निजीकरण के दौर में जहाँ, सरकारी विद्यालय संसाधनों और अध्यापकों की तंगी से जूझ रहे हैंI जब सरकारी विद्यालयों में लगातार छात्रों की संख्या घट रही है, ऐसे में दिल्ली में शिक्षा का बजट 25% होना उम्मीद की किरण जगा रहा थाI दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में होने वाले परिवर्तनों के क्रम में, दिल्ली शिक्षा विभाग के मेंटर शिक्षकों का एक समूह, जनवरी 2019 में महाराष्ट्र के जिला सतारा तथा जिला परभणी में राष्ट्रीय शैक्षिक भ्रमण पर भेजा गया, ताकि देश के कोने-कोने में हो रहे, सकार

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