अध्यापकीय जीवन के फलितार्थ: योगफल नहीं, गुणनफल
अध्यापकीय जीवन के फलितार्थ:
- Read more about अध्यापकीय जीवन के फलितार्थ: योगफल नहीं, गुणनफल
- Log in to post comments
अध्यापकीय जीवन के फलितार्थ:
एक बार पढ़ने पढ़ाने के तरीके पर चर्चा करते समय शिक्षाविद प्रोफेसर कृष्ण कुमार अवधारणा का प्रश्न उठाते हैं कि एक शिक्षक के नाते शिक्षण प्रक्रिया में हम इसे कितना महत्व देते हैं , या कितना देना चाहिए। ‘अवधारणा’ किसी भी विषय को समझने-समझाने का प्राथमिक पैमाना है। यह एक सहज, प्राकृतिक व अनिवार्य शर्त है – शिक्षण प्रक्रिया की। उतनी ही सहज जैसे वृक्ष कहते ही हरी पत्तियों से लदा एक तना मिट्टी में अपनी जड़ जमाए दिख जाए । पर क्या हम अपनी शिक्षण प्रक्रिया में इसे इसी रूप में समाहित कर पाते हैं ?