TEA प्रोग्राम के तहत, स्कूल विजिट का हमारा कार्यक्रम खत्म हो चुका है, और आज से चार दिनों का ब्रेक शुरू हुआ है। इस प्रोग्राम में भाग लेने वाले सभी शिक्षक चार अलग-अलग विश्वविद्यालय में हैं और विश्वविद्यालय के नजदीक जो भी प्रसिद्ध जगह है लोग वहां इस ब्रेक में घूमने के लिए जाते हैं। कुछ लोग अपने साथी तथा संबंधियों से मिलने चले जाते हैं। यहां जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय, से हमारे करीब से 10 साथियों ने मिलकर यह तय किया कि सब न्यूयॉर्क देखने चलेंगे। वाशिंगटन से न्यूयॉर्क की दूरी करीब सारे 4 घंटे की है । सुबह 9:30 बजे हम वहां से निकले और करीब करीब 2:00 न्यूयॉर्क पहुंच गए।
यहां एक कहावत सुनने को मिलती है कि जितने लोग यहां के डाइवर्स हैं, उतनी ही डाइवर्सिटी यहां के मौसम में है। आज के मौसम को देखकर आप कल के मौसम का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं यहां तक कि सुबह के मौसम को देखकर शाम के मौसम का अंदाजा नहीं लगा सकते है। सुबह अगर खिली धूप होती है तो दोपहर होते-होते बर्फवारी शुरू हो जाती है। यहां न्यूयॉर्क में रिमझिम -रिमझिम बारिश हो रही है। लेकिन कोई बात नहीं न्यूयॉर्क तो न्यूयॉर्क है। अगर रवीश के शब्दों का इस्तेमाल करें तो अमेरिका भारतीय लोगों के लिए सपनों का देश है और न्यूयॉर्क तो अमरिकियों के लिए भी सपनों का शहर है।
भारत के बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को अब, न्यूयॉर्क जैसे शहर के स्काई स्क्रेपर्स बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाते हैं। फिर भी हर शहर की एक अपनी विशिष्ट पहचान होती है और वहां की हवाओं की एक अपनी खास खुशबू होती है, और न्यूयॉर्क तो इस मामले में बहुत ही धनी शहर है। वाशिंगटन जैसा हर चीज सुसज्जित यहां देखने को नहीं मिलता है लेकिन चकाचौंध करने वाली रोशनी में डूबा हुआ है यह शहर। लोग अपनी तमाम परेशानियों को भूलकर यहां की ऊंची इमारतों को देखते हुए इस सभ्यता के चकाचौंध कर देने वाले विकास की गाथा में कुछ देर के लिए उलझ सकते है। ऊंची ऊंची इमारतों पर चमकती हुई रंग बिरंगी रोशनी, और इमारतों के दीवारों पर चलती हुई विज्ञापनों की तस्वीर ऐसा लगता है, जैसे आप किसी बरे सिनेमाघर में हैं और आपके चारों तरफ एक नहीं कई सिनेमा चल रही है।
भारत में रहते हुए भी हमने टाइम स्क्वायर का नाम बहुत सुना था। अक्सर पत्रकार लोग टाइम स्क्वायर से रिपोर्ट करते हैं तो इस जगह को लेकर एक खास इमेज मन में बना हुआ था, सबसे पहले टाइम स्क्वायर देखने ही हम निकले। चुकी हमने बहुत सुन रखा था इस जगह के बारे में तो इसीलिए देखने में भी बहुत अच्छा लगा। काफी सारी तस्वीरें खिंचवाई। कई सारे मित्रों ने सलाह दी थी कि ब्रांडेड चीजों की शॉपिंग के लिए यह दुनिया की सबसे बेहतरीन जगह है। हालांकि शायद मजबूरी की वजह से और बाद में कुछ विचारों की वजह से मैं ‘ब्रांडेड’संस्कृति का पक्षधर नहीं रहा हूँ, लेकिन इस वक्त मैं टाइम्स स्क्वायर पर था और आसपास दुनिया की सारी बेहतरीन ब्रांड के बड़े बड़े शोरूम थे मेरे बाकी साथी भी उस में जा रहे थे तो मैंने भी एक- दो शो रूम का चक्कर लगा लिया, कुछ साथियों को घड़ी खरीदनी थी तो जाकर swatch देख आया, मुझे बताया गया कि यह स्विट्जरलैंड की ब्रांड है जहां की घड़ियां बहुत प्रसिद्ध होती है। इसके अलावा polo, ओर एक कुछ नेवी करके था, ओल्ड नेवी या कुछ ऐसा ही। मेरे साथी बता रहे थे कि यह ब्रांड भी बहुत प्रसिद्ध है।
शुरूआती वर्षों में जब आप गांव से शहर में रहने के लिए आते हैं तो आप कितने शहरी हुए हैं इस बात की परख इस बात से की जाती है कि आपने कुछ ब्रांडों का नाम सीखा है या नहीं,आप कुछ ब्रांडेड कपड़े पहनने शुरू किए हैं या नहीं। एक दशक से ज्यादा से शहरों में रहने के बाद ब्रांडों के मामले में मेरी कोई ज्यादा समझ तो नहीं बढ़ी है लेकिन हां वह झिझक भी दूर हो चुकी है कि पता नहीं लोग शहरी समझेंगे या नहीं। फिलहाल इस वक्त मैं न्यूयॉर्क में हूं और शहर बहुत खूबसूरत है और इतिहास का विद्यार्थी होने के नाते मैं ऐतिहासिकता को तो ढूंढ ही लेता हूं । यह शहर दुनियाभर में शहरों के विकास का एक मॉडल रहा है और जहां कहीं भी आप आज स्काई स्क्रेपर देख रहे हैं, उन सबको कहीं न कहीं न्यूयॉर्क के स्काई स्क्रेपर्स ने प्रभावित किया है।
स्कूलों से थोड़ा सा छुट्टी लीजिए मैं जल्द ही अमेरिकी स्कूली व्यवस्था से ऐसे कौन से 10 बातें है जो अपने यहां की स्कूली व्यवस्था में लाया जा सकता हैं के बारे में लिखूंगा । फिलहाल इन कहानियों के साथ आप भी मेरे साथ न्यूयॉर्क की यात्रा कर सकते है।
हमेशा की तरह छोड़ता हूं आपको कुछ तस्वीरों के साथ ।
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