इंतजार खत्म हुआ और हम Oakton हाई स्कूल पहुंच गए। सुबह करीब 7:30 बजे हम स्कूल पहुंच जाते हैं। और स्कूलों की तो दुनिया ही अलग होती है इतनी उर्जा से भरे हुए लोग आपके आसपास होते हैं जल्द ही आप उस ऊर्जा के प्रबल प्रवाह से प्रभावित होने लगते है। हम सभी शिक्षकों को यहां एक पार्टनर टीचर मिला हुआ है। Brandon Maccula मेरे पार्टनर टीचर हैं। हम दोनों करीब करीब एक ही उम्र के हैं और एक ही विषय पढ़ाते हैं फर्क सिर्फ इतना है कि वह अमेरिका में पढ़ाते हैं और मैं इंडिया में पढ़ाता हूं और शायद इसी वजह से मेरे पास कुछ डिग्रीयाँ उनसे ज्यादा है। Maccula बता रहे थे कि अमेरिका में मास्टर्स डिग्री करना कोई आसान काम नहीं है बहुत खर्चीला है करीब करीब $15000 का खर्चा आ जाता है। वह भी तब जबकि वह अमेरिकी नागरिक है। अपनी करेंसी में देखें तो यह करीब करीब 10 लाख के आसपास का खर्चा पड़ता है। तो जितनी आसानी से आप को अपने देश में मास्टर्स डिग्री लिए हुए लोग दिखते हैं वह भी एक नहीं कई मास्टर्स डिग्री,इतनी आसानी से आप यहां मास्टर डिग्री लिए हुए लोगों को नहीं देख सकते हैं।
कितनी बड़ी संख्या में हमारे यहां मास्टर्स डिग्री लिए हुए लोग बेरोजगार हैं ।
खैर, रहने देते हैं इन बातों को। Maccula से आज अलग-अलग मुद्दों पर मेरी लंबी चर्चाएँ हुई। जिसमें खास रहा लेसन प्लानिंग तथा शिक्षक प्रशिक्षण से जुड़ा हुआ मुद्दा। शिक्षक प्रशिक्षण के बारे में वे बता रहे थे, कि साल में एक बार, 1 दिन के लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षण का आयोजन किया जाता है। साथ ही प्रशिक्षण की स्कूल आधारित एक उम्दा व्यवस्था है। करीब-करीब हर महीने में एक बार एक विषय से संबंधित सभी शिक्षक एक साथ बैठते हैं और उनमें से ही कोई एक, प्रशिक्षण के स्कूल आधारित इस कार्यक्रम का, नेतृत्व करता है। आपस में बैठकर ही प्रशिक्षण के एजेंडे को तय किया जाता है। साथ ही पूरे साल भर इन्हें करीब करीब आठ अलग-अलग ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम लेना होता है। ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में इन्हें कुछ लेख पढ़ना होता हैं, कुछ वीडियो देखना होता है और फिर कुछ सवालों के जवाब देने होते हैं। उन्होंने मुझे कुछ ऑनलाइन कोर्स दिखाएं जो इस साल उन्होंने अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान पूरा किया है।
- डिजिटल सिटीजनशिप
- सेक्सुअल एंड जेंडर बेस्ड हरासमेंट ट्रेनिंग
और ऐसे बाकी भी कोर्स इस लिस्ट में शामिल है कुछ के सामने ऑप्शनल लिखा हुआ है और कुछ के सामने रिक्वायर्ड लिखा हुआ है। एक भारतीय होने के नाते उसमें भी एक सरकारी शिक्षक होने के नाते एक सवाल तो मैं पूछ ही लेता हूं कि अगर नहीं किया तो क्या होगा? और उनका जवाब हैरान करने वाला था
उन्होंने बताया कि यह प्रोफेशनल कमिटमेंट की बात है। यह बात एक शिक्षक कह रहा है यह वाकई हैरान करने वाली बात थी मेरे लिए । ऐसा नहीं है कि हमारे यहां प्रोफेशनल कमिटमेंट को जानने वाले लोग नहीं हैं लेकिन इसकी संस्कृति नहीं है। क्या है। उन्होंने दूसरा उपाय भी बताया, उन्होंने बताया कि जिस प्रकार हम बच्चों को स्कूल से बाहर नहीं कर सकते हैं उसी प्रकार शिक्षकों को भी नहीं करते हैं, ऐसे शिक्षको की मदद की जाती है और फिर उस मदद के आधार पर हर साल उनका मूल्यांकन होता है कि उन्होंने कुछ को सिखा या नहीं, अगर कोई शिक्षक मूल्यांकन में बार-बार असफल होते हैं तो अंततः उन्हें बाहर कर दिया जाता है,लेकिन यह एक सामान्य घटना नहीं है कम से कम Maccula ऐसे किसी शिक्षक को नहीं जानते हैं जिसे बाहर कर दिया गया हो। आज बस इतना ही कल मुझे अमेरिकी बच्चों को इंडियन फ्रीडम स्ट्रगल के बारे में पढ़ाना है।
आज श्रीलंकाई मूल का एक बच्चा दिख गया जो मुझे लगता है कि मेरे जैसे ही दिखता है शायद 15 साल पहले मैं इसी तरह दिखता था, आपको इस तस्वीर के साथ छोड़ता हूं।
- Log in to post comments