आज से करीब-करीब 15 साल पहले कल्याणी और मैं मुनिरका में रहकर पढ़ाई करते थे। कल्याणी को हर रोज करीब 3 किलोमीटर दूर मोतीलाल नेहरू कॉलेज जाना होता था। बस में 2 रुपये का टिकट लगता था । वो अक्सर जाने और आने का 4 रुपया बचाने के लिए पैदल ही चली जाती थी। कई बार एक स्टॉप आगे बढ़ जाने से टिकट 7 रुपये का हो जाता था तो हम अपने गंतव्य से एक स्टॉप पीछे ही उतर जाते थे। किसान परिवार की कोई मासिक आय नही होती थी, आज भी नही होती है। ऐसे में नियमित मासिक खर्च बहुत महंगी पड़ती थी।
यह 2019 है, लेकिन आज भी लाखों लोग उसी दौर से गुजर रहे हैं। हजारों, लाखों की संख्या में लोग जो गांव से शहर आ रहे हैं उनके लिए जिंदगी इतनी आसान नहीं है। एक-एक रुपया उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बस के किराए से बचाए हुए पैसे से लोग अपने बच्चों के लिए दूध ख़रीद पाएंगे।
freebie जैसे शब्दों के जाल में मत पड़ीये। नीचे दिए गए कुछ आंकड़ों पर गौर करिए।
- भारत में 82%कामकाजी पुरुष और 92% प्रतिशत कामकाजी महिलाएं 10,000 से कम वेतन पर काम कर रहे हैं।
- 50,000 से अधिक वेतन पाने वाले लोगों की संख्या सिर्फ 1% है।
- भारत में सिर्फ 1% लोगों का कब्ज़ा यहां की पूरी संपत्ति के 73% हिस्से पर है।
- भारत में आज भी महिलाओं को, पुरुषों की तुलना में समान काम के लिए 34% कम वेतन मिलता है।
- भारत में हर दिन औसत रूप से 3 घंटे महिलाएं अनपेड जॉब करती हैं जब कि पुरुषों के लिए यह औसत सिर्फ 30 मिनट का है।
सामान्य लोगों के प्रति संवेदना के रूप में इस फैसले को देखिए । सरकारें व्यापार करने के लिए नहीं होती। लोगों की जिंदगी को सुगम बनाना इसका मुख्य कार्य होता है।
निस्संदेह इस फैसले से बड़ी संख्या में महिलाओं की मोबिलिटी बढ़ेगी। रोज़गार पाने का उनका अवसर बढ़ेगा। अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। इस झांसे में मत पड़ीए की सरकार के वित्तीय हालात का क्या होगा। वास्तविकता में यह मजबूत होगा। जितनी ज्यादा आर्थिक गतिविधि बढ़ेगी सरकार की वित्तीय हालत उतनी ही ज्यादा मजबूत होगी।
घर में महिलाओं के रोजगार पाने से अमूमन देखा जाता है कि घर में शांति बढ़ती है। 2006 में बांग्लादेश निवासी मोहम्मद यूनुस को इस बात के लिए नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था कि उन्होंने बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक के जरिए लाखों महिलाओं की जिंदगी में रोज़गार का साधन उपलब्ध करवाया था। नोबेल कमेटी को यह लगा कि आर्थिक समृद्धि शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
जैसे ही पब्लिक लाइफ में महिलाओं की संख्या ज्यादा होगी महिलाओं की सुरक्षा भी बढ़ जाएगी। महिलाओं की सुरक्षा, राष्ट्र की सुरक्षा से कम अहमियत का विषय नहीं होना चाहिए।
आशा करता हूं कि इस मोबिलिटी को और आगे बढ़ाते हुए जल्दी ही महिलाओं के लिए मेट्रो में भी यात्रा फ्री कर दी जाएगी। धीरे-धीरे समाज के अन्य वर्गों तक भी इस सुविधा को पहुंचाया जाना चाहिए।
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