18 teachers from 16 nations; The first story from Cote d’ Ivoire

18 teachers from 16 nations; The first story from Cote d’ Ivoire

Posted on: Fri, 10/30/2020 - 17:39 By: admin

लिखने के लिए बहुत कुछ है पूरा प्रोग्राम ही इस तरह से डिजाइन किया गया है कि हर क्षण आपके लिए एक नया अनुभव होता है । इस प्रोग्राम की एक सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि हम ना सिर्फ अमेरिका में हैं बल्कि यहां 40 अलग-अलग देशों से आए शिक्षकों के साथ है। सभी शिक्षक एक साथ नहीं है इनको चार अलग-अलग विश्वविद्यालयों में बांट दिया गया है। मेरे साथ जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय में जो कुल मिलाकर 18 शिक्षक हैं जो 16 अलग-अलग देशों से आते हैं। ये 16 अलग अलग देश तीन महाद्वीपों में स्थित है- एशिया,अफ्रीका तथा साउथ अमेरिका। एशिया से हमारे साथ भारत और बांग्लादेश के शिक्षक साथी यहां पर हमारे साथ हैं। इसके अलावा रसिया, बेलारूस, अजरबैजान, आर्मीनिया, टर्की, और जॉर्डन से शिक्षक इस समूह का हिस्सा है। अफ्रीकी महादेश से साउथ अफ्रीका, नाइजीरिया, जिंबाब्वे, और कोटा द वायर से शिक्षकों को यहां आने का मौका मिला हुआ है। और दक्षिण अमेरिकी महादेश के देश कोलंबिया, पेरू, चिले, तथा बोलीविया के साथी यहां हमारे साथ हैं।

मेरी यह कोशिश होगी कि हर देश से कहानी को समेट लिया जाए वहां की स्कूली व्यवस्था और शिक्षकों के सामने जो वहां समस्याएं हैं उसके बारे में मैं उनसे बात करता हूं और कोशिश करूंगा कि यह सभी कहानी आपके सामने आ पाए। अब दिन कुछ ज्यादा नहीं बचे हैं इसलिए जल्दी-जल्दी इन सब कहानियों को समेटना होगा। इस प्रोग्राम में इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि आपको उन व्यक्तियों के साथ रखा जाता है जिनके साथ आपकी किसी तरह की कल्चरल प्रॉक्सिमिटी ना हो ताकि आप ज्यादा दूसरे संस्कृति के बारे में जान सकें उस को सराह सके।

मेरे साथ मेरे रूम पार्टनर शिक्षक कोटा द वायर से हैं और यह एक पश्चिम अफ्रीकी देश है और इसकी राजधानी Abidjan है। उपनिवेशवादी दौर में यह देश फ्रांस का उपनिवेश था और इसी वजह से आज इस देश की प्रशासनिक व्यवस्था शिक्षा व्यवस्था फ्रेंच भाषा पर आधारित है स्कूलों में फ्रेंच ही मीडियम ऑफ इंस्ट्रक्शन बना हुआ है। Aapiya अपने देश के एक छोटे से शहर Gagnoa में हाई स्कूल में पढ़ाते हैं और वे इंग्लिश के शिक्षक है। koulango , agni (क्षेत्रीय भाषा) के अलावा इन्हें फ्रेंच और इंग्लिश भी आती हैl

हमारे यहां की स्कूली शिक्षा व्यवस्था और इनके यहां की स्कूली शिक्षा व्यवस्था में कोई खास अंतर नहीं है और अलग-अलग लेखों के जरिए आप पाएंगे कि विकासशील देशों में करीब करीब एक जैसी व्यवस्था है। सरकारी शिक्षा तंत्र उपेक्षा का शिकार हो रही है और उसकी जगह निजी शिक्षा व्यवस्था ले रही है इनके देश में भी लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजना शुरू कर चुके है।

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इतिहास में हुए रंग आधारित भेदभाव पर बात करते हुए वे अक्सर भावुक हो जाते हैं और कहते हैं कि वह एक ऐसा घाव है जो आसानी से भरने वाला नहीं है। साथ ही उन्हें लगता है कि उनकी ब्लैक आइडेंटिटी उनको एक सॉलिडेरिटी का एहसास देता है जो दुनिया में कहीं भी रहने वाले ब्लैक लोगों के साथ उनको जोड़ता है। ब्लैक सॉलिडेरिटी के कारण देशों की सीमाएं महत्वपूर्ण नहीं रह जाती है, नेल्सन मंडेला,मार्टिन लूथर किंग, गांधी, और वे सभी लोग जिन्होंने समाज में ब्लैक लोगों को सम्माननीय स्थान दिलाने के लिए मदद की है वे सब इनके हीरो हैं। दिल्ली में हो रही शिक्षा क्रांति की समाचार जब वे मुझसे सुनते हैं तो उन्हें लगता है कि उनके देश में भी कुछ ऐसी ही जरूरत है । उनका मानना है कि जल्द से जल्द शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकारी पहल की जरूरत है नहीं तो बहुत देर हो सकती है। इस संदर्भ में वह दिल्ली में हो रहे शिक्षा क्रांति को एक आदर्श पहल मानते हैं और खासकर हमारे शिक्षा मंत्री को के अलग-अलग भाषणों को देखकर, बेहतर शिक्षा व्यवस्था के प्रति उनके समर्पण को देखकर आपिया बहुत प्रभावित हैं। मैंने इन्हें भारत आने का न्योता दिया है, और इस उम्मीद के साथ कि भारत में कभी मैं इनका स्वागत कर सकूंगा । आप सबको अगले पोस्ट तक के लिए छोड़ता हूँ। #TEASpring2018 #delhieducationrevolution #blacksolidarity