एग्जाम हॉल स्ट्रेटजी

एग्जाम हॉल स्ट्रेटजी

Posted on: Sun, 01/29/2023 - 15:17 By: admin
कुल मिलाकर अगर बच्चे कुछ बातों का ध्यान रखते हैं जैसे कि साफ सुथरा लिखना, एक ही जवाब को दुबारा रिपीट नहीं करना, क्रमवार तरीके से लिखना, महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित कर देना तो इससे 15 से 20% तक उनके अंक में बढ़ोतरी की संभावना बनी रहती है। और इसके विपरीत परिस्थिति में 15 से 20% उनके अंकों में कमी होने की संभावना भी बनी रहती है। इन बातों का ध्यान रखकर 60% अंक पाने वाला बच्चा 80% अंक पा सकता है। इन बातों को नजरअंदाज करके 80% अंक पाने की योग्यता रखने वाला बच्चा 60% अंक पा सकता है।

 

एग्जाम हॉल स्ट्रेटजी

 

अगले 2 सप्ताह में देश के अधिकतर स्कूलों में वार्षिक परीक्षा की शुरुआत हो जाएगी। इस परीक्षा से जुड़ी हुई समस्याएं और सुधार की प्रक्रिया से संबंधित बहस अपनी जगह है; इस वक्त यह महत्वपूर्ण है कि बच्चे वार्षिक परीक्षा में कैसे बेहतर अंक लाकर पास हों और ना सिर्फ अपना एक बेहतर भविष्य बना सकें बल्कि अपने माता-पिता और स्कूल का नाम भी रोशन कर सकें। बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता और शिक्षक सभी के लिए अगला दो महीना बहुत ही महत्वपूर्ण है। स्कूलों में स्ट्रेस मैनेजमेंट और टाइम मैनेजमेंट से संबंधित कार्यशालाओं का आयोजन करवाया जाता है। 

 

मेंटर टीचर के रूप में शिक्षक और बच्चों के बीच जाकर हम इस संबंध में अपनी बात रखते हैं और कोशिश करते हैं कि शिक्षकों के ऊपर जो दबाव है उसे कम किया जा सके और साथ ही बच्चे बेहतर नंबर से पास हो सकें इसके लिए उन्हें प्रेरित किया जा सके।

 

'एग्जाम हॉल' स्ट्रेटजी से संबंधित कुछ बातें मैं बच्चों से अक्सर साझा करता हूँ। ये बातें एक परीक्षक के रूप में मेरे अनुभव से संबंधित है।

 

आखिर बच्चों को नम्बर कौन देता है?

उनका कॉपी जांच करने वाला परीक्षक!

 

एक बेहतर शिक्षक भी परीक्षक के रूप में अपने काम को बहुत आनंदित रूप से नहीं कर पाता है। 300-400 कॉपियों की जांच करना आसान काम नहीं होता है। यह बहुत ही उबाऊ और स्ट्रेस से भरा काम रहता है जिसे निश्चित समय पर पूरा करना होता है। परीक्षक के इसी मनोस्थिति में बच्चों के अंक में 15 से 20% अंतर होने की संभावना छुपी रहती है।

एक परीक्षक के रूप में कॉपी की जांच करते समय कुछ सहूलियत परीक्षक के पास होता है। जैसे कि 3 अंक के प्रश्नों में वे या तो दो या तीन अपनी मर्जी से दे सकते हैं ऐसे ही 5 अंक के प्रश्नों में वे 4 या 5 के बीच में बच्चों को अंक दे सकते हैं। 

उदाहरण के लिए दसवीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान के प्रश्न पत्र में 2 अंकों के चार प्रश्न पूछे जाते हैं। तीन नंबर के 5 प्रश्न पूछे जाते हैं। पांच नंबर के 4 प्रश्न पूछे जाते हैं। और चार नंबर के 3 प्रश्न पूछे जाते हैं।

 

2     3     4    5   (अंक)

4     5     3    4 ( प्रश्नों की संख्या)

_____________

8+   15+   12+  20= 55 (कुल अंक)

 

.5  1    1     1 (अंतर की संभावना)

4    5   3     4

—------------------

2+  5+  3+  4=.        14 (कुल अंतर)

 

ऊपर दिए हुए अंक तालिका में मैं यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि दो नंबर वाले प्रश्न में परीक्षक किसी बच्चे को आधा नंबर कम या ज्यादा दे सकता है, इसी तरह तीन नंबर, चार नंबर एवं पाँच नंबर वाले सवाल में एक नंबर कम या ज्यादा देने की गुंजाइश होती है।

 

दिए हुए मानक के अतिरिक्त कॉपी जाँचते वक्त परीक्षकों का अपना एक मानक होता है। अगर किसी बच्चे ने परीक्षकों के उस मानक का पालन किया है तो उसके अंक में 25% तक का उछाल आ सकता है अथवा 25% तक कम हो सकता है। जाहिर सी बात है यह मेरे व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है तो मैं सभी परीक्षकों के लिए यह दावा नहीं करता हूँ लेकिन मैं ऐसा मानता हूं कि अधिकतर परीक्षक इस मानक को मानते हैं।

मैंने शुरू में ही लिखा है कि अधिकतर परीक्षकों के लिए कॉपी जांच करने का काम उबाऊ और स्ट्रेस से भरा होता है। ऐसी स्थिति में अगर कोई बच्चा उनके काम को थोड़ा आसान बना देता है तो उसके लिए 20 से 25% अतिरिक्त अंक पाने की संभावना बढ़ जाती है। एक उदाहरण के जरिए इसे समझते हैं। अगर कोई व्यक्ति सर्दी के महीने में ठंडे पानी से बर्तन धो रहा है और अगर उसे कोई गर्म पानी दे दे तो उसका काम थोड़ा आसान हो जाता है।

 

परीक्षक के काम को आसान करने का क्या मतलब है?

  1. निर्धारित मानक में यह कहीं नहीं लिखा होता है कि बच्चे की लिखावट ज्यादा या कम अंक पाने के लिए जिम्मेदार होगा लेकिन अमूमन सुंदर लिखावट वाले बच्चे अधिक अंक पाने की संभावना रखते हैं।
  2. वैसे यह कहा जाता है कि बच्चे को जो प्रश्न आता हो वह वहीं से लिखना शुरू करें लेकिन जो बच्चे क्रमवार सभी प्रश्नों का उत्तर लिखते हैं अधिक अंक पाने की संभावना उनकी बनी रहती है।
  3. कई बार कुछ बच्चे दो प्रश्नों का जवाब एक जैसा ही लिख देते हैं; यह सोच कर कि शिक्षक जल्दी-जल्दी कॉपी जांच करते हुए शायद नजरअंदाज कर जाएंगे। लेकिन पकड़े जाने पर परीक्षक ऐसे बच्चों का नंबर कम कर देते हैं।
  4. कुछ सवाल 'अथवा' वाले विकल्प के साथ पूछे जाते हैं। कई बार कुछ बच्चे एक ही प्रश्न के सभी विकल्पों का उत्तर देते हैं और 'अथवा' को नजरअंदाज कर देते हैं। परीक्षकों द्वारा ऐसे बच्चों के नंबर भी कम कर दिए जाते हैं।
  5. कुछ बच्चे गलत जवाब लिखने के बाद उसे काट देते हैं। कुछ बच्चे पेन से लिखे हुए शब्दों को इतना रब कर देते हैं कि वह दिखे ही नहीं। परीक्षकों के लिए यह इरिटेटिंग होता है अगर गलत जवाब को काटना ही है तो एक क्रॉस का निशान लगाया जा सकता है।
  6. 3 या 5 अंक के प्रश्नों में अमूमन परीक्षक 3 या 5 अलग-अलग बिंदुओं को बच्चों के जवाब में ढूंढते हैं जो बच्चे अलग बिंदुओं को हाईलाइट कर देते हैं परीक्षक के लिए उसे पहचानना आसान हो जाता है।

कुल मिलाकर अगर बच्चे कुछ बातों का ध्यान रखते हैं जैसे कि साफ सुथरा लिखना, एक ही जवाब को दुबारा रिपीट नहीं करना, क्रमवार तरीके से लिखना, महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित कर देना तो इससे 15 से 20% तक उनके अंक में बढ़ोतरी की संभावना बनी रहती है। और इसके विपरीत परिस्थिति में 15 से 20% उनके अंकों में कमी होने की संभावना भी बनी रहती है। इन बातों का ध्यान रखकर 60% अंक पाने वाला बच्चा 80% अंक पा सकता है। इन बातों को नजरअंदाज करके 80% अंक पाने की योग्यता रखने वाला बच्चा 60% अंक पा सकता है।