It’s not just a school building

Posted on: Sat, 10/31/2020 - 07:13 By: admin

Ranjeet ji – A teacher in the government school of Delhi is planning a city tour for some of his esteemed guests. This time, he has included his school as one of the places where he wants his esteemed guests to visit along with other tourist attractions of Delhi. He is very much excited and is explaining the story of the turn around of the Delhi government schools to his guests. He doesn’t forget to show the newly built swimming pool, multipurpose hall with centralised cooling system along with the upgraded classrooms and labs to his guests.

मजबूत लोकतंत्र या मजबूत सरकार

Posted on: Sat, 10/31/2020 - 07:11 By: admin

यह एक ऐतिहासिक तस्वीर है। आज इस तस्वीर को लेकर मीडिया में काफी चर्चा है। इस तस्वीर को मैं भारत के उन सपनों के तस्वीर से जोड़कर देखता हूं जिसका सपना गांधीजी देखा करते थे और जिसका सपना उस समय भारत को स्वतंत्र करवाने के लिए लड़ रहे हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था । अंग्रेज के हाथों में केंद्रीकृत सत्ता का लगातार भारत के स्वाधीनता संग्राम के दौरान विरोध किया गया और इस विरोध के स्वर में सभी पार्टियां एकमत थी। प्रांतीय स्वायत्तता की कल्पना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा रहा जहाँ हर सूबे की अपनी सरकार होगी और उन सरकारों के पास बहुत सारे फैसले लेने क

Democratic School

Posted on: Sat, 10/31/2020 - 07:06 By: admin

Democratic School edited by

Michael W. Apple & James A. Beane

पुस्तक पर चर्चा सीरीज के सातवें अंक में आज हम बात कर रहे हैं डेमोक्रेटिक स्कूल की।

करीब- करीब 144 पेज की किताब इंटरनेट पर उपलब्ध है। एकलव्य नामक संस्था के द्वारा इसे प्रकाशित किया गया है। Michael W. Apple तथा James A. Beane के द्वारा किताब को संपादित किया गया है।

The micropolitics of the school by Stephen J. Ball

Posted on: Sat, 10/31/2020 - 06:59 By: admin

The Micropolitics of the school.

By stephen J. Ball

स्कूल के स्पेस में काम करते हुए हम अक्सर इस के अलग-अलग पहलुओं को एक साथ करके नहीं देख पाते हैं। लेकिन कई बार यह सवाल हमारे मन में जरूर आता है कि ऐसा क्यों हो रहा है? ऐसा कैसे हो रहा है। यह सवाल हम भी पूछते हैं और यह सवाल हमसे पूछे भी जाते हैं। इस तरह के सवालों का उत्तर जानने के लिए यह जरूरी होता है कि हम एक हॉलिस्टिक पर्सपेक्टिव डेवलप करें और इस होलिस्टिक पर्सपेक्टिव को डिवेलप करने में मेरे ख्याल से इस किताब से ज्यादा मददगार शायद कोई दूसरी किताब नहीं हो सकती है।

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